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BOOK LAUNCH : PRAGATI KE AGRADOOT
(The Harbingers of Changes) By Navjot Sidhu

A parable of people who with their indomitable instinct metamorphosed the picture of Rural Haryana.

“ग्रामीण व्यवस्था की एक आवाज बुलंद हौसलों का एक लंबा सफर सच को सच बताने की निडरता हर समस्या को हल करने का जज्बा शासन से स्वदेश को जोड़ने की एक कड़ी `N factor` उम्मीद और विश्वास की एक पहचान”

आओ चलो गांव की ओर…यही सोच, यही विश्वास..कुछ ऐसा ही अपनेपन का अनुभव… जिसे संजो कर `THE N फैक्टर मीडिया कंपनी` हरियाणा के गांव गांव की तह में पहुंच रहा है…`N फैक्टर` एक नाम नहीं व्यवस्था से संग्राम है जो कहता है कि सूरत तो बदलनी चाहिए, एक अपील जो कहती है उठो और उठाओ हक की आवाज, एक भरोसा जो कहता है कि हम हैं हमेशा आपके साथ। और इस साथ का नाम है कई बड़े चैनल्स और अखबारों में काम कर चुकी वरिष्ठ पत्रकार नवजोत सिद्ध.जिन्होंने हरियाणा की आत्मा में उतरने की पहल की है… क्योंकी हम ये मानते है की “पंचायतों से राज्यों का निर्माण और राज्यों से राष्ट्र का निर्माण होता है”…किस तरह से ग्रामीण हरियाणा का विकास हो रहा है… क्योंकी ग्रामीण विकास होगा तभी तो राज्य का विकास होगा…जो ग्रामीणों से जुड़े बिना मुमकिन नहीं है…ऐसे में हमारी कोशिश है गांव की गाथा को प्रमुखता से दर्शाने की… ताकी उन्हें प्रोत्साहन मिले…आगे बढ़ने और निखरने का आत्मविश्वास जगे… पत्रकारिता में करीब 20 साल से भी ज्यादा तक का सफर तय कर चुकी वरिष्ठ पत्रकार नवजोत सिद्धू बड़े और डिजिटल लेवल पर काम करने के बाद अब `N फैक्टर` के माध्यम से वहां पहुंची जहां हमारे देश की आत्मा बसती है, गांव की गलियों से लेकर खेतों खलियान तक की तह में जा कर नामुमकिन को भी मुमकिन करने का लक्ष्य रखती है, बूढी आंखों की चमक , युवाओं का यकीन, महिलाओं का भरोसा, तो गांव के भविष्य को निखारने की कोशिश है। जिसे पूरा करने के लिए वरिष्ठ पत्रकार नवजोत सिद्धू की टीम दिन रात आपके साथ खड़ी है। `N फैक्टर` की पहल ,सरकार की इंद्रधनुष योजना के तहत स्टार गांव में पहुंची,कोविड 19 से लड़ते हुए दानवीर और कर्मवीर गावों को कवर किया,पिछड़े गांव की समस्याओं को उठाया हाईटेक गांव के संघर्ष को दिखलाया.

`N फैक्टर` की ओर से साल 2018 में पंचायत शक्ति कॉनक्लेव एवम अवार्ड कार्यक्रम के माध्यम से पहली बार पंचायत की तीनों इकाईयों को एक मंच पर लाया गया… जिसमे मुख्यअतिथि के s रूप मे पंचायत मंत्री श्री ओमप्रकाश धनखड़ शामिल हुए उनके साथ पंचायत के हर स्तर के मेंबर को हर समस्या रखने का मौका मिला….बेहतर काम करने वाली पंचायतों को सम्मानित किया गया…

इस साल 20 नवंबर 2021 दूसरा पंचायत शक्ति ऑवार्ड कार्यक्रम किया गया जिसमे मुख्यअतिथि के रूप मे हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहरलाल ने शिरकत की और बतौर गेस्ट आफ ऑनर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम पूर्व पंचयतीराज मंत्री श्री ओमप्रकाश धनखड़ शामिल हुए …ये जानने और समझने के लिए की पढ़ी लिखी, हाई टेक और दानवीर बन चुकी हरियाणा की पंचायतों में कितना बदलाव आया है….और क्या कुछ नई योजनाएं वो जनता के साथ साझा करना चाहते है….और हमारी कोशिश भी यही रहेगी… की हम गांव से जुड़ी हर उम्मीद को पंख पसारने के लिए ख्वाइशों का आसमान देने का माध्यम बन सके…

नवजोत सिद्धू ने एन फेक्टर मीडिया कंपनी के तहत कॉफी टेबल बुक का प्रकाशन किया है, जो हरियाणा प्रांत के युवा सरपंचों द्वारा किए गए विकास कामों का एक पुख्ता दस्तावेज है। इस कॉफी टेबल बुक में नवजोत सिद्धू ने राज्य की ग्रामपंचायतों के विकास की उस तस्वीर को कैद किया है, जिसका सपना वहां के ग्रामीण वर्षों से अपनी आंखों में संजोए बैठे थे। यह कॉफी टेबल बुक उन युवा संरपचों का आत्मविश्वास बढ़ाते हुए उन्हें अपने गांव के और अधिक कर गुजरने की प्रेरणा देगी। यह बुक अन्य राज्यों के गांवों के सरपंचों के लिए भी प्रेरणा और प्रोत्साहन का काम करेगी, जो अपने गांवों के लिए कुछ करना चाहते हैं। "सेवा अपने गांव की करो आदर पूरे हरियाणा में पाओ"

सिस्टम और ग्राउंड जीरो के समन्वय को समझते समझते कहीं ना कहीं यह बात जानने और समझने को मिली। की संविधान में संशोधन करके पंचायती राज के ढाचे को मजबूत करने की ओर कदम उठाए गए है। संशोधन तो किया गया लेकिन जमीनी स्तर पर ये देखने को मिल रहा है की संशोधन का ये स्वरूप गांव के विकास के बनते बिगड़ते समीकरणों को नहीं साध पाया, ऎसे में सरपंचों को अभी भी बहुत सी शक्ति देनी जरूरी है जिसके अभाव में गांव का विकास धीमी गति से बढ़ रहा है। सरपंच जो गांव का प्रतिनिधित्व तो करते है। लेकिन अभी भी गांव के विकास में पूरी तरह से फैसला लेने में सक्षम नहीं है। ग्रांट की मंजूरी के लिए अभी भी उन्हें सरकारी अधिकारियों पर निर्भर रहना पड़ता है।

भारत के संविधान में त्रिस्तरीय शासन प्रणाली की स्थापना इसीलिए की गई ताकि बड़े स्तर से लेकर गांव के जमीनी स्तर तक विकास का पहिया घूम सके, लेकिन यह तभी संभव है जब सभी इकाइयों के बीच में समन्वय होगा। ग्राउंड जीरो की रिपोर्टिंग के दौरान हमें कई बार यह देखने को मिला कि गांव के विकास में रोड़ा छोटी सरकार की आत्म निर्भरता है। जिसे दूर करने की यात्रा पढ़ी लिखी छोटी सरकार के गठन की शुरुआत से तो हो चली है। लेकिन इस यात्रा को मंजिल तक पहुंचने में अभी समय लगेगा। कहते हैं चलना पड़ता है अंगारों पर इतिहास रचाने को,बिना ताकत झोंके तो, एक जर्रा भी हिल नहीं सकता, संघर्ष ही दिलाता है एक इंसान को मुकाम उसका, बिन मेहनत के कोई फल मिल नहीं सकता। इसलिए अगर गांव में उम्मीदों की रोशनी को बरकरार रखना है तो इस रोशनी को बनाए रखने के लिए हौसले की आग को जलाए रखना होगा।